Saadagi Santosh Daya Aur Punya

संतुलित दिमाग जैसी कोई सादगी नहीं है,
संतोष जैसा कोई सुख नहीं है,
लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं है
और दया जैसा कोई पुण्य नहीं है।

कभी फूलों की तरह मत जीना,
जिस दिन खिलोगे, टूट कर बिखर जाओगे,
जीना है तो पत्थर की तरह जियो,
जिस दिन तराशे गए, भगवान बन जाओगे।

अगर जीवन में सुखी होना है तो,
अपने आप को किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखिये,
क्योंकि व्यस्तता व्यक्ति को
दुखी होने का समय नहीं देती।

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